मानोगे नहीं ...
भौतिकी (physics) एक ऐसा विषय है जो हमे हमेशा से भाता रहा है | क्या आपने शाखा से गिरे सेब से विज्ञानं की नयी शाखा निकलते देखी है?! भौतिकी के दाहिने हाथ के खेल का किस्सा तो हम सुना चुके हैं, और हिंदी भाषा वाला भी | यह किस्सा कुछ और है | बात है CBSE board के इम्तिहान की जिसका कुरुक्षेत्र शहर से थोडा दूर था तो हम सब छात्र एक ही बस में जाते और आते थे | कुछ हम थे जो समीकरणों (equations) और सूत्रों (formulas) में सर फुडाते रह गए और कुछ वो थे जिन्होंने भौतिकी को भगवान् से मिला डाला ! नहीं नहीं हम श्रीमान भूरे (dan brown) के सहपाठी नहीं रहे | da vinci छोडिये ये तो angel, demon के बाप तक पहुँच गए |
इन महानुभाव का एक जुमला हुआ करता था "भाई .... तुम मानोगे नहीं ....." (अरे बंधू जब तुम्हे पता है की हम नहीं मानने वाले हैं तो बता काहे रहे हो! खैर ये बात तो किसी और मुद्दे की है...) | तो भौतिकी की परीक्षा ख़तम हुई और छात्रों का काफिला सवालों और उनके जवाबों में उलझा, मध्हम कदमों से आगे बढ ही रहा था की किसी ने उन महानुभाव से पूछ ही लिया "यार कैसी हुई तुम्हारी परीक्षा" बस फिर क्या था उन्होंने वह महान शब्द कह डाले "की आज तो यदि ब्रम्हा जी भी नीचे उतर के बोल दे की बेटा तुम पास हो गए हो तो में कहूँगा..... आप झूठ बोल रहे हैं"!
(अपने ही बनाए माटी के पुतले के इतने अटूट विश्वास को परमपिता ब्रम्हा भी कैसे झुठला सकते थे तो ....)
1 comment:
Yes I remember this one very clearly. In fact have recounted this to so many people since then. But where is the great man who made this statement?
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