नाटकीय रूपांतरण
बहुत कम ऐसा होता है जब आपके कॉलेज के अनुभव आपको पाठशाला की याद दिलाये | जिस lecture में मैं फिलहाल बैठा हुआ हूँ वो शिक्षिका पड़ा तो रही है innovation के बारे में किन्तु पड़ रही हैं एक पहले से लिखे मूलपाठ द्वारा किसी नाटक के अभिनय माफिक| यह देख कर अपने पुराने रसायन शास्त्र (chemistry) के शिक्षक की याद आ गयी जो एक guide book से पढाया करते थे | बच्चों को पता न चल जाये तो सन सत्तर के किसी अख़बार का cover लगा के आते थे | पर आप तो जानते हैं, बच्चा भगवान् का रूप होता हैं और इतने सारे भगवानों से कहाँ कुछ छुप सकता है, एक चतुर बालक ने सारी किताबे छान मारी और वो किताब खरीद कर क्लास के एक कोने में बैठ जाता| बस फिर क्या शिक्षक महाराज दनादन, line by line किताब से पढाते रहते और लड़का line by line underline करता रहता :D