Sunday, May 17, 2009

हिंदी कक्षा के व्यंगात्मक वाक़ये

तो मुद्दा ये है की हमारी पाठशाला में शिक्षकों को रचनात्मकता और नवाचार भाता न था | बात है हिंदी परीक्षा की जिसमे प्रश्न आते थे वही घिसे पिटे स्त्रीलिंग से पुल्लिंग और विपरीत | तो एक महानुभाव को जब भगवान का लिंग बदलना था (तिरस्कारी और असंभव काम है जानता हूँ) तो महाशय का जवाब रहा मादा भगवान | शिक्षिका ने उस छात्र को महात्मा के खिताब से तो नवाजा पर अंक न दिए |

दूसरा वाक़या भी हिंदी कक्षा का ही है, दूसरे किस्म के घिसे पिटे सवाल आते थे दिए गए एक शब्द पे वाक्य बनाने के | अब कई ऐसे क्लिष्ट शब्द आते थे की बच्चों के हाथों से तोते उड़ जाते | मसलन एक शब्द आया विहंगम | अब विहंगम किस चिडिया का नाम है इसकी तो आधे से ज्यादा लोगों को हवा भी न थी | फिर क्या लोगों का रचनात्मकता दिमाग चल गया | एक राम बाण वाक्य निकाला गया जो सब दुःख दूर कर दे | भाई किसी भी संज्ञा का लिंग बदलने के लिए वह संज्ञा नर है की मादा इतना तो पता ही होना चाहिए पर ऐसी कोई भी बाधा इस राम बाण वाक्य में न थी | और वह महान वाक्य था "विहंगम एक अच्छा शब्द है" | कुछ छात्र तो यहाँ तक न रुके उन्होंने सवाल को ही जवाब बना डाला और स्याह अक्षरों में लिखा "शिक्षिका ने विहंगम पे वाक्य लिखने को कहा" | इस वाक्य ने तो शिक्षिका को अवाक कर दिया | अब इस बात को झुठलाया तो नहीं जा सकता की शिक्षिका ने वाक्य लिखने को कहा है, ये तो अटूट सत्य है और इस वाक्य में आवश्यक शब्द भी है तो वह शिष्य को पुरस्कार में भारत की खोज शून्य तो भेंट दे नहीं सकी हाँ कक्षा में निवेदन जरूर किया की ऐसे वाक्य लिखिए जिनसे शब्द का अर्थ उभर के आये और मन मसोस कर आधे अंक दिए|

15 comments:

Sandeep Dabur said...

igjacktly

Chawla said...

yeh vakyon ko samjhne mein hamari hindi ke bhi tote ud gaye :)
aur vihangam ka aarth to abhi bhi hamare mastikshye mein nahin aaya. google maharaj ka sahara liya, doston se poocha magar sab un bacchon ki tarah avakt ho kar niharte hi reh gaye :)

Sandeep Dabur said...

wasie ek aur baat yaad aa rahi hai humein hindi ki..humein aksar bindi k prayog mein confusion hota tha aur hamari teacher bindi ki lekar kafi senti thi..toh humne ek naayab tareeka nikala..jab bhi confusion hoti thi k bindi lagegi ya nahi, hum pencil se halki si bindi laga dete the..agar teacher galat karti thi uss shabd ko toh hum turant keh dete the- madam dhyan se dekhiye, mane bindi mita di thi/ ma'am jaldi jaldi mein bindi halki si hi laga paya..aur iss prakar humne iss namuraad mushkil ka ram baan hal nikala

Unknown said...

"विहंगम एक अच्छा शब्द है"
aise creative sentence bana ke
launde teachers ke liye chakra view ki rachna kar dete hain jiise nikalne ka unke paas koi chara nahi hota...
Is ghatna k baad.. hindi teachers ne seekh li aur question ka naam "Make Sentences" se change hoke "Make Meaningful Sentences" ho gaya....
Its all about finding out and exploiting the loop holes of a SYSTEM...
cheers partik...gud work!!

TheQuark said...

@चावला : ह्म्म्म दरअसल विहंगम का अर्थ होता है "आसमान या ऊँचाई से" तो शिक्षिका को चाहिए थे वाक्य जैसे : "इस बहु मंजिला इमारत से शहर का का मनोरम और विहंगम दृश्य मिलता है"

@स्वप्निल डाबर : भाई कोशिश तो हमने भी की थी पर औंधे मुहँ गिरे | प्रश्न आया की आलोक का उल्टा लिखो तो हमे कुछ समझ में तो आया नहीं तो जड़ दिए "विलोक" :( वैसे हाँ जीवनियाँ लिखने के लिए हमने भी एक तरकीब लगायी थी | अब अंक पाने के लिए जवाब में ढेर सारी पंक्तियाँ तो ठून्स्नी ही पड़ेंगी | तो हमने भी एक वाक्य बनाया था की "इनकी रचनात्मक कृतियों ने भारतवर्ष के मानसपटल पे एक अटूट छाप छोड़ दी", पर लगता है यह शिक्षिका को पसंद न आया :(

@आशीष: :) यही innovation तो शिक्षिका के पल्ले न पड़ा |आशा है की आज के छात्र भी इस ही प्रकार के loop hole निकालते रहे |

parwana said...
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parwana said...

एक बार हमारी हिंदी की टीचर ने हमें एक पत्र लिखने को कहा | टीचर - "पोस्ट मास्टर को शिकायत पत्र लिख कर लचर डाक व्यवस्था से अवगत कराओ |
जहां हम सब ने अपनी अक्ल और कलम दौडानी शुरू की, वहीँ मेरे दोस्त पारस के दिमाग में कुछ और ही घंटी बज रही थी |
उसने अपने शरारत भरे संकोच से हाथ उठाकर पुछा - "मैम ?"
टीचर - "हाँ बोलो!"
पारस - "मैम! जब डाक व्यवस्था खराब है तो शिकायत पत्र पोस्ट मास्टर तक कैसे पहुंचेगा ?"
टीचर को जैसे मनो मिर्ची लग गयी हो पर पारस का सवाल गलत न था | बेचारी क्या कहती? जोर से बोली - "चुपचाप बैठ कर पत्र लिखो! ज्यादा सवाल नहीं ! "

TheQuark said...

@परवाना : भाई आपके पारस मणि को हमारे एक सहपाठी से ज़रूर मिलना चाहिए | एक दिन कक्षा में शिक्षिका के पाठ के बीच में ही टपक के पूछ पड़े की ये बताइए जब कोई मरता है तो हम उसके नाम के आगे automatically स्वर्गवासी क्यूँ लगा देते हैं, हमे क्या पता वो स्वर्ग गया की नर्क! इस पर कक्षा ने तो ठहाके लगाये ही शिक्षिका भी अपनी मुस्कराहट दबा न पायीं | बस इतना ही समझा पायीं की की भाई किसी मृत व्यक्ति के लिए अच्छा ही बोला जाता है |

parwana said...

this thread seems to be pretty interesting ... if we can at least manage 20-30 entries, i think it can be made into a really nice e-book... wat say? :)

I have 2 more stories to throw in... How bout u?

TheQuark said...

As Jim Morrison sang : Let it roll baby roll :D

Sandy said...

nice ones.....
likhte raho....
looking for more vakyaas....

Divesh said...

majja aa gaya post aur comments dono mein

TheQuark said...

@people: Do watch this video http://www.youtube.com/watch?v=BzPUmmhuNiU&feature=related

The person who answers last question seems like long lost relative of the dude I talked of in the blog :D

Kapil Barve said...

मस्त लिखा है !

अब एक पोस्ट लिख ही डालो अपने महान मित्र के आत्म विश्वास के ऊपर, बोले तो ब्रह्मा जी वाला :D

TheQuark said...

अरे हाँ वो तो मुझे लगता था की वो किस्सा मुँह जबानी बताने में अच्छा लगता है पर ध्यान से देखा जाये तो उसमे भौतिकी (physics) और धर्म का ऐसा मिश्रण है जो श्रीमान भूरे (Brown) ने भी न सोचा होगा